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भुगतान का प्रकार

शुल्क का भुगतान निम्नलिखित में से किसी भी मोड में महानिदेशक, सी.सी.आर.यू.एम., नई दिल्ली के पक्ष में किया जा सकता है:

1. नकद के रूप में

2. डिमांड ड्राफ्ट के रूप में

3. बैंकर चेक के रूप में

4. इंडियन पोस्टल आर्डर के रूप

 

अनुरोध का निपटान

1. यदि जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित जानकारी मांगी जाती है, तो उसे 48 घंटों में दी जानी है।

2. अन्य मामलों में 30 दिन में उत्तर देना होगा।

3. द्वितीय अप्पीलीय लो.सू.अ. के माध्यम से आवेदन प्राप्त होने पर 5 दिन जोड़े जाने हैं।

4. In case of third party 40 days.

 

अपील

1. अपील दो स्तरों पर होती है। .

2. विभाग/संगठन के भीतर की जानकारी के लिए प्रथम अपील की जाने पर, वरिष्ठ अधिकारी द्वारा, राज्य लोक सूचना अधिकारी द्वारा, उसे 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जानी है।

3. केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष दूसरी अपील की जाने पर, उसे 90 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जानी है।

4. 30 दिनों के भीतर अपीलों का निर्णय किया जाता है।

 

तीसरे पक्ष की जानकारी

1. जब आवेदक द्वारा तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) के बारे में जानकारी मांगी जाती है, तो तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) को 5 दिनों के भीतर अपना मामला पेश करने के लिए नोटिस दिया जाएगा।

2. 10 दिनों के भीतर, सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।.

3. तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) को अपील करने का अधिकार होगा।

 

सूचना के प्रकटीकरण से छूट:

धारा 8 के अनुसार निम्नलिखित प्रकार की सूचना देना अनिवार्य नहीं होगा।

1. भारत की सुरक्षा और अखंडता के संबंध में।

2. ''कोर्ट ऑफ ला'' द्वारा प्रकाशित करने के लिए निषिद्ध।

3. जिसके प्रकटीकरण से संसद/विधानसभा के विशेषाधिकार का हनन होता है।

4. वाणिज्यिक विश्वास व्यापार रहस्य और बौद्धिक संपदा।

5. न्यासिक संबंध में प्राप्त जानकारी।

6.विदेशी सरकार से गोपनीय रूप से प्राप्त जानकारी।

7. जिसका खुलासा जीवन और स्वतंत्रता को खतरे में डाल सकता है।

8. जिससे जांच की प्रक्रिया में बाधा आती है।

9. विचार-विमर्श के रिकॉर्डों सहित कैबिनेट के दस्तावेज।

10. व्यक्तिगत जानकारी जिसका किसी सार्वजनिक गतिविधि से कोई संबंध नहीं है।

11. जो जानकारी, किसी के कॉपीराइट के उल्लंघन की ओर संकेत करता है।

 

दंड प्रावधान

1. प्रत्येक दिन की देरी के लिए रु.250/- की दर से जुर्माना लगाया जा सकता है, जो अधिकतम रु. 25,000/- तक हो सकता है।

2. लगातार चूक होने पर, लो.सू.अ. के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश जारी कर सकते हैं।

3. सुनवाई/पक्ष रखने का अवसर दिया जाना है।

 

तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता

1. इस अधिनियम पर उचित ध्यान देने के लिए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के सदस्यों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।

2. अधिनियम में निर्धारित अनुसूची के अनुसार कार्यान्वयन के लिए आवश्यक प्रारंभिक उपाय पूरे किए जाने चाहिए।

3. अधिनियम के अधीन प्राप्त अनुरोध के निपटान में अधिकारियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

4. अधिनियम के अधीन प्राप्त सभी अनुरोधों को निर्धारित समय सीमा के भीतर निपटाया जाना चाहिए।

 

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

1. सहायक लोक सूचना अधिकारी किसी भी लो.सू.अ. के लिए आवेदन प्राप्त कर सकते हैं।

2. प्रथम अपीलीय प्राधिकारी लो.सू.अ. से वरिष्ठ होना चाहिए।

3. लो.सू.अ. वरिष्ठ अधिकारी होने चाहिए, जो काम को नियंत्रित करने और जानकारी निकालने में सक्षम हों, क्योंकि उन्हें एक अर्ध न्यायिक जानकारी (quasi judicial information) प्रदान करना होता है।.

4. भ्रम से बचने के लिए लो.सू.अ. और अपीलीय अधिकारियों के बीच काम का स्पष्ट सीमांकन किया जाना चाहिए।

5. पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकायों को लो.सू.अ. के दायरे में लाने के लिए उन्हें सूचित करें।

 

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

1. कार्य को सुगम बनाने के लिए आवेदन एवं शुल्क की प्राप्ति की व्यवस्था उपयुक्त रूप से की जानी चाहिए।

2. स.लो.सू.अ./लो.सू.अ. सूचना काउंटर को रिसेप्शन काउंटरों के पास स्थापित किए जाने चाहिए।

3. अपील प्राधिकारी जनता के लिए आसानी से सुलभ होना चाहिए।

4. मुख्य प्रवेश द्वार पर स.लो.सू.अ./लो.सू.अ. का कमरा नंबर आदि दर्शाने वाला बोर्ड उपलब्ध होना चाहिए।

 

सचिवों/विभागाध्यक्षों/सी.ई.ओ. की भूमिका

1. स.लो.सू.अ./लो.सू.अ. की नियुक्ति करना।

2. प्रथम अपीलीय प्राधिकारी की नियुक्ति करना।

3. अधिनियम के दायरे में लाए जाने के लिए पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकायों की पहचान करना।

4. अधिनियम के प्रावधानों के बारे में व्यापक प्रचार करना।

5. अधिकारियों और कर्मचारियों को सुग्राही बनाने के लिए आंतरिक कार्यशालाओं का आयोजन करना।

6. आवेदन/शुल्क आदि की प्राप्ति के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करना।

7. मार्गदर्शन के लिए अपेक्षित संख्या में काउंटर उपलब्ध करना।

8. SUO MOTU सूचना और प्रसार को अधिकतम तक तैयार करना।

9. सभी संबंधित अधिकारियों के कामकाज की निगरानी और नियंत्रण करना।